आज प्रेम एस. गुर्जर की किताब दूसरी दुनिया पढ़ी, बहुत ही मोटिवेशनल कहानी है।
ठोकर खाकर ही सफलता की सीढी चढा जा सकता है, ये इस किताब में बखूबी दर्शाया गया है। मैंने इनकी पहली किताब फिलॉस्फर्स स्टोन पढ़ी थी और तब से ही इनकी लेखनी का कायल रहा हूं। इनकी लिखी यह किताब पाठक को अंत तक बांधे रखती है।
कभी कभी हमें लगता है कि सपनों को हकीकत में बदलने के लिए कोई चमत्कार, भाग्य या दैविय सहायता जरूरी होती है पर हकीकत में ऐसा कुछ नहीं होता है। जो भी भाग्य या किस्मत या चमत्कार होता है वो हमारे अन्दर ही छुपा होता है, बस उसे उभारकर बाहर लाने की जरूरत होती है। और एक बार जब अंदर की ताकत बाहर आ जाती है तो हम असफलता से सफलता की ओर अग्रसर हो जाते हैं।
बहुत ही अच्छी कहानी है, पढना शुरू करेंगे तो पूरी करके ही उठेंगे ऐसा मेरा मानना है।
:- सतवीर वर्मा ‘बिरकाळी’